दिवाली 2025: लक्ष्मी-गणेश पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और टिप्स | Astrosetu

दिवाली 2025: लक्ष्मी-गणेश पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और टिप्स | Astrosetu

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प्रस्तावना- दिवाली 2025 पर लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा कैसे करें

दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और शुभ त्यौहार है। यह दिन माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा को समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन माँ लक्ष्मी घर में धन, सौभाग्य और समृद्धि का वास करती हैं, जबकि भगवान गणेश बुद्धि, विवेक और शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक हैं।

दिवाली की रात दीपों की रोशनी, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाती है। इस पावन अवसर पर सही विधि से लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करने से घर में धन, सौभाग्य, शांति और सफलता का आगमन होता है।

2025 की दिवाली में यदि आप जानना चाहते हैं — “लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा कब, कैसे और किस विधि से करें?” तो यह Astrosetu की विस्तृत गाइड आपके लिए है। इसमें आपको पूजा की सही विधि, शुभ मुहूर्त, सामग्री सूची और महत्वपूर्ण टिप्स सब कुछ मिलेगा।

दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का महत्व

दिवाली का त्यौहार न केवल रोशनी और खुशियों का प्रतीक है, बल्कि यह आध्यात्मिक शुद्धि और धन-समृद्धि का पर्व भी है। इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की एक साथ पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है।

माँ लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है, जबकि भगवान गणेश बुद्धि, विवेक और शुभ कार्यों के अधिपति हैं। मान्यता है कि जब दोनों देवताओं की एक साथ पूजा की जाती है, तो व्यक्ति के जीवन में संपत्ति के साथ-साथ ज्ञान और सफलता का वास होता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, लक्ष्मी जी का आशीर्वाद तभी स्थायी होता है जब गणेश जी की कृपा साथ हो। इसीलिए दीपावली की रात्रि में पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है, उसके बाद माँ लक्ष्मी की पूजा होती है।

इसके अतिरिक्त, दिवाली को अंधकार पर प्रकाश की विजय और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन दीप जलाने का अर्थ है— अपने घर और मन से नकारात्मकता दूर कर सकारात्मक ऊर्जा और देवी-देवताओं का स्वागत करना

इसलिए दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में संतुलन, शांति और समृद्धि बनाए रखने का भी माध्यम है।

दिवाली 2025 का शुभ मुहूर्त और तिथि

दिवाली हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से घर में धन, सौभाग्य और शांति का वास होता है। 2025 में दीपावली पर्व विशेष संयोग लेकर आ रहा है, क्योंकि इस वर्ष स्थिर लग्न और प्रदोष काल में पूजा करने का अत्यंत शुभ योग बन रहा है।

2025 में दिवाली की तिथि

  • तिथि: कार्तिक अमावस्या

  • दिनांक: 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)

  • दिन: मंगलवार

🕰️ लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, दिवाली पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में की जाती है, जो सूर्यास्त के बाद से लगभग ढाई घंटे तक रहता है। यह समय माँ लक्ष्मी की आराधना के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।

  • लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 05:50 बजे से रात 07:45 बजे तक

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 21 अक्टूबर 2025, सुबह 06:25 बजे

  • अमावस्या तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर 2025, सुबह 04:30 बजे

(नोट: यह मुहूर्त पंचांग के अनुसार स्थान विशेष पर थोड़ा भिन्न हो सकता है। अपने शहर का स्थानीय मुहूर्त Astrosetu के "Panchang" सेक्शन से देखें।)

स्थिर लग्न का महत्व

“स्थिर लग्न” वह समय होता है जब माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन और समृद्धि स्थिर बनी रहती है। यदि यह योग शाम के समय बनता है, तो यही पूजा का सबसे उत्तम समय होता है।

इसलिए दिवाली 2025 पर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करते समय ध्यान रखें कि स्थिर लग्न या प्रदोष काल का चयन करें। यही समय धनलाभ और सौभाग्य प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम है।

पूजा की तैयारी कैसे करें

दिवाली पर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा करने से पहले सही तैयारी करना बेहद ज़रूरी है। माना जाता है कि स्वच्छता, श्रद्धा और शुद्ध मन से की गई पूजा ही पूर्ण फल देती है। आइए जानते हैं कि पूजा से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए —

1. घर और पूजा स्थल की सफाई

दिवाली का मुख्य उद्देश्य ही होता है — अंधकार और नकारात्मकता को दूर कर प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करना।
इसलिए पूजा से पहले घर की पूरी सफाई करें।

  • घर के मुख्य द्वार, रसोई और पूजा स्थल को विशेष रूप से स्वच्छ रखें।

  • दरवाज़े पर तोरण और रंगोली बनाएं, जो माँ लक्ष्मी का स्वागत करती है।

  • दीपावली की शाम को मुख्य द्वार पर दो दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

  • अगर संभव हो तो पूजा स्थल पर सुगंधित धूप और फूलों की सजावट करें।

स्वच्छता न केवल भौतिक रूप से आवश्यक है, बल्कि यह मन की पवित्रता का भी प्रतीक है।

2. पूजा सामग्री सूची

लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए आवश्यक सामग्री को पहले से तैयार कर लेना चाहिए ताकि पूजा के समय किसी चीज़ की कमी न हो। नीचे दी गई सूची का पालन करें —

आवश्यक सामग्री:

  • माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियाँ

  • कलश (जल, सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते सहित)

  • पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और शक्कर)

  • कपूर, घी, धूप, दीपक और रुई की बाती

  • चावल, हल्दी, कुंकुम, फूल और अक्षत

  • मिठाई, फल और मेवा

  • स्वच्छ लाल या पीले रंग का कपड़ा

  • कलम, नया खाता-बही या नोटबुक (व्यापारियों के लिए)

  • लक्ष्मी गणेश जी की आरती की पुस्तक या पांडुलिपि

इन सामग्रियों को पूजा शुरू होने से पहले एक थाल में व्यवस्थित रूप से रख लें।

3. मूर्ति या फोटो का चयन

माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की बैठी हुई मुद्रा वाली मूर्तियाँ सबसे शुभ मानी जाती हैं।

  • लक्ष्मी जी की मुद्रा कमल पर विराजमान और हाथ से धनवर्षा करती हुई होनी चाहिए।

  • गणेश जी की मूर्ति दक्षिणमुखी सूंड (संकरी दिशा की ओर झुकी) हो तो वह अधिक शुभ मानी जाती है।

  • मूर्तियाँ मिट्टी या धातु की हों — प्लास्टिक से बनी मूर्तियाँ उपयोग न करें।

  • पूजा के बाद मूर्तियों को सम्मानपूर्वक उसी स्थान पर रखें, या अगले वर्ष तक सुरक्षित रखें।

सही मूर्ति का चयन ऊर्जा संतुलन और सकारात्मक वातावरण बनाता है।

दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा विधि (Step-by-Step Guide)

दिवाली की रात को सही विधि और श्रद्धा से पूजा करने पर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नीचे दी गई पूजा विधि को क्रमबद्ध रूप से करें —

1. संकल्प और ध्यान (Sankalp & Dhyana)

सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल पर शांत मन से बैठकर गंगा जल छिड़कें और पवित्रता बनाए रखें।
इसके बाद एक फूल हाथ में लेकर भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी का स्मरण करें और मन में यह संकल्प लें —

“हे माँ लक्ष्मी और गणेश देव! मैं आज श्रद्धा एवं भक्ति से आपकी पूजा कर रहा हूँ। कृपा कर मेरे घर में सुख, समृद्धि और ज्ञान का वास करें।”

फिर ॐ गणपतये नमः का जप तीन बार करें।

2. कलश स्थापना

कलश को पूजा के दाईं ओर स्थापित करें।

  • कलश में जल, सुपारी, सिक्का और आम के पाँच पत्ते डालें।

  • ऊपर नारियल रखकर उसे लाल कपड़े से बाँध दें।

  • यह कलश माँ लक्ष्मी का प्रतीक होता है।
    कलश स्थापना के बाद दीप जलाकर पूरे घर में घूमाएँ ताकि नकारात्मकता दूर हो।

3. भगवान गणेश की पूजा

लक्ष्मी पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा करना आवश्यक है क्योंकि वे विघ्नहर्ता और आरंभ के देवता हैं।

  • गणेश जी की मूर्ति को फूल, अक्षत, हल्दी, कुंकुम से सजाएँ।

  • उन्हें मोदक, दूर्वा और फल अर्पित करें।

  • निम्न मंत्र का जप करें —

“ॐ गं गणपतये नमः।”

गणेश जी से निवेदन करें कि आपकी पूजा निर्विघ्न संपन्न हो और परिवार में ज्ञान व सौभाग्य का वास हो।

4. माँ लक्ष्मी की पूजा

अब माँ लक्ष्मी की मूर्ति को जल, फूल और सुगंधित पुष्पों से सजाएँ।

  • उन्हें सिंदूर, हल्दी और अक्षत चढ़ाएँ।

  • कमल का फूल या गुलाबी फूल अर्पित करें, यह लक्ष्मी जी को अति प्रिय है।

  • पाँच दीये जलाकर लक्ष्मी जी के चारों ओर रखें।

  • माँ को खील-बताशे, मिठाई और नारियल अर्पित करें।
    फिर निम्न मंत्र का जप करें —

“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः।”

यह मंत्र धन, समृद्धि और सौभाग्य की वर्षा लाने वाला है।

5 लक्ष्मी-गणेश मंत्र और आरती

पूजन के बाद लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें।
पहले गणेश जी की आरती —

“जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा…”

उसके बाद माँ लक्ष्मी की आरती —

“ॐ जय लक्ष्मी माता…”

आरती के दौरान परिवार के सभी सदस्य साथ खड़े होकर दीप घुमाएँ और श्रद्धा भाव से गाएँ। यह वातावरण को आध्यात्मिक और ऊर्जा से भर देता है।

6. नैवेद्य अर्पण और प्रसाद वितरण

पूजा पूर्ण होने के बाद मिठाई और फल अर्पित करें।
फिर परिवार के सदस्यों के साथ प्रसाद बाँटें और दीप जलाएँ
घर के सभी कोनों में दीये जलाने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है।

7. आरती के बाद क्या करें

  • पूजा के बाद कुछ देर ध्यान लगाएँ और कृतज्ञता प्रकट करें।

  • नए खाते-बही (व्यापारियों के लिए) पर “शुभ लाभ” लिखें।

  • बच्चों को पूजा की परंपरा समझाएँ ताकि उनमें संस्कृति के प्रति प्रेम बना रहे।

  • पूजा समाप्त होने के बाद मूर्तियों को यथास्थान रखकर दीपक को धीरे-धीरे बुझाएँ।

पूजा के समय ध्यान देने योग्य नियम और विशेष टिप्स

माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते समय कुछ बातें बेहद महत्वपूर्ण होती हैं। छोटी-सी लापरवाही भी पूजा के फल में कमी ला सकती है। इसलिए नीचे दिए गए नियमों और टिप्स का पालन ज़रूर करें —

1. पुराने मूर्तियों का क्या करें

हर साल नई मूर्तियाँ रखने की आवश्यकता नहीं होती।
यदि आपकी पुरानी मूर्तियाँ अच्छी स्थिति में हैं, तो उन्हें साफ करके फिर से उपयोग में लें।
लेकिन यदि मूर्ति टूटी, धुली या क्षतिग्रस्त हो गई है, तो उसे बहते हुए जल या किसी पवित्र स्थान (जैसे पीपल वृक्ष के नीचे) श्रद्धापूर्वक विसर्जित करें।
मूर्ति को कभी भी कूड़ेदान में या असम्मानजनक स्थान पर न रखें।

2. पूजा के दौरान सावधानियाँ

  • पूजा के समय जूते-चप्पल, मोबाइल फोन और शोरगुल से दूर रहें।

  • दीपक हमेशा घी या तिल के तेल से जलाएँ — यह शुभ माना जाता है।

  • पूजा के समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।

  • लक्ष्मी जी को सफेद और गुलाबी फूल अर्पित करें, लाल फूलों का उपयोग कम करें।

  • पूजा के बाद दीप जलाकर पूरे घर में दीपों की श्रृंखला बनाएं — यह लक्ष्मी आगमन का प्रतीक है।

  • पूजा के दौरान मन में कोई नकारात्मक विचार या झगड़ा न रखें।

3. परिवार के साथ पूजा करने के लाभ

दिवाली की पूजा सिर्फ धार्मिक कर्मकांड नहीं है, यह परिवारिक एकता और सकारात्मकता का उत्सव भी है।
जब पूरा परिवार एक साथ बैठकर लक्ष्मी-गणेश जी की आराधना करता है, तो घर में

  • आपसी प्रेम बढ़ता है,

  • मानसिक शांति मिलती है,

  • और घर का ऊर्जा स्तर बढ़ता है।

परिवार के बच्चों को पूजा में शामिल करें ताकि वे भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव महसूस करें।

4. धन और सौभाग्य के लिए कुछ सरल उपाय

  • लक्ष्मी पूजा के दिन घर के उत्तर-पूर्व कोने में दीपक जलाना शुभ होता है।

  • मुख्य दरवाज़े पर श्री यंत्र या “ॐ” का चिन्ह बनाएं।

  • तिजोरी या अलमारी में लाल कपड़े पर चांदी का सिक्का या कौड़ी रखें।

  • लक्ष्मी मंत्र “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” का 108 बार जप करें।

  • पूजा के बाद किसी गरीब व्यक्ति को भोजन या मिठाई दान करें — यह पुण्यफल कई गुना बढ़ा देता है।

FAQs – दिवाली पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न

नीचे दिए गए प्रश्नों में आपको लक्ष्मी गणेश पूजा से जुड़े सबसे सामान्य सवालों के उत्तर मिलेंगे

दिवाली पर लक्ष्मी गणेश जी की पूजा कब करनी चाहिए?

दिवाली की पूजा अमावस्या की रात को की जाती है, जब प्रदोष काल चलता है।
साल 2025 में यह पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अक्टूबर को शाम 6:20 से रात 8:20 तक रहेगा।

लक्ष्मी गणेश जी की पूजा कौन-सी दिशा में करनी चाहिए?

पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ होता है।
लक्ष्मी जी की मूर्ति को दाईं ओर और गणेश जी की मूर्ति को बाईं ओर स्थापित करें।

क्या पुरानी मूर्तियाँ दोबारा पूजा में उपयोग की जा सकती हैं?

हाँ, यदि मूर्तियाँ सही स्थिति में और बिना क्षति के हैं, तो उनका पुनः उपयोग किया जा सकता है।
यदि टूटी या खराब हैं, तो उन्हें बहते जल में विसर्जित कर दें।

लक्ष्मी पूजन में क्या नहीं करना चाहिए?

पूजा के समय काले कपड़े, झगड़ा, नकारात्मक बातें या मद्यपान बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
साथ ही पूजा स्थल पर गंदगी या अव्यवस्था भी नहीं होनी चाहिए।

लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए कौन-सा मंत्र सर्वश्रेष्ठ है?

सबसे प्रभावशाली मंत्र है –
“ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।”
इसे 108 बार जपने से मन और घर दोनों में धन और शांति का वास होता है।

दिवाली के दिन क्या विशेष करना चाहिए जिससे घर में धन का आगमन हो?

घर के मुख्य दरवाज़े पर स्वस्तिक बनाएं,
कपूर जलाएं, और प्रत्येक कोने में दीपक रखें।
साथ ही जरूरतमंदों को मिठाई या वस्त्र दान करें, इससे माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

दिवाली के दिन कौन-सा रंग पहनना शुभ रहता है?

दिवाली के दिन लाल, पीला, सुनहरा या गुलाबी रंग शुभ माना जाता है।
ये रंग ऊर्जा, प्रेम और समृद्धि के प्रतीक हैं।

पूजा के बाद दीपक कितनी देर तक जलाए रखना चाहिए?

पूजा के बाद दीपक को पूरी रात जलते रहने दें, यह लक्ष्मी आगमन और शुभता का प्रतीक माना जाता है।

क्या केवल लक्ष्मी पूजा पर्याप्त है या गणेश जी की भी पूजा करनी चाहिए?

गणेश जी विघ्नहर्ता हैं, इसलिए लक्ष्मी जी की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा अनिवार्य होती है।
गणेश जी के बिना लक्ष्मी जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

दिवाली की पूजा के बाद क्या करें?

पूजा के बाद परिवार संग आरती करें, मिठाई बांटें, और दीप जलाकर घर सजाएं।
यह शुभता और सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखता है।

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